भोपाल मंडल
Protected Temples under Bhopal Circle, Archaeological Survey of India
दार्शनिक रूप से हिन्दू मंदिर एक मात्र पूजा का स्थान या संप्रदाय विशेष के धार्मिक आयोजन का स्थान नहीं है; वरन् हम इसे सर्वव्यापी शक्ति का घर भी मान सकते है। अन्य शब्दों में इसे भगवान का घर भी कहा जाता है। प्राचीन भारतीय साहित्य व शिल्प ग्रंथो में मंदिरों को भगवान के संपूर्ण शरीर की तरह माना गया है, जिसके कारण मंदिर के विभिन्न भागों को पाद, जंघा, शिखर व मस्तक आदि की संज्ञा दी जाती है।
सा धारतया एक सामान्य मंदिर गर्भगृह व उसके सम्मुख मंडप से संयोजित होता है। कभी-कभी बहुधा अंतराल दोनों भागों को जोड़ता है। निर्माण के प्रारम्भ में मंदिर अपने विन्यास में साधरण व सादे होते थे जिनमें एक वर्गाकार गर्भगृह के ऊपर चपटी छत होती थी। वास्तु-विधा के विकास के साथ ही साधारण मंदिर के आकार-प्रकार का विकास हुआ तथा धीरे-धीरे गर्भगृह, मंडप के साथ समा मंडप, अर्द्धमण्डप, मुखमण्डप, ऊँचा शिखर भागों को संयोजित किया गया। मंदिर के मंडप अलंकृत होते गये तथा उसके सतम्भों, मित्रि-स्तम्भों, वितान तथा बीमों को विभिन्न अलंकरणों से सुसज्जित किया गया। मंदिर के शिखर को उनके उमार (प्रोजेक्शन) दिये गये, विशेष रूप से उत्तरी भारत के मंदिरों को।
भारत के मंदिरों को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है :
एक सामान्य उत्तर भारतीय मंदिर शैली में मंदिर एक वर्गाकार गर्भगृह, स्तम्भों वाला मंडप तथा गर्भगृह के ऊपर एक रेखीय शिखर से संयोजित होता है। कभी-कभी वह पंचायतन प्रकार के होते है, जिसमे एक जगती के ऊपर मध्य में मुख्य मंदिर होता है, और उसके चारों कोनों पर चार छोटे देवालय होते है। मंदिर एक ऊँचे चबूतरे पर स्थापित होता है, जिसे जगती कहते है तथा जिस पर जाने के लिए कभी-कभी तीन ओर से तथा कभी एक ओर से सीढ़ियाँ बनी होती है।
गर्भगृह के ऊपर एक रेखीय शिखर होता है। यह प्रायः तीन उभारों से संयोजित होता है, जिसमे सबसे मध्य के उभार (प्रोजेक्शन) को भद्र रथ कहते है तथा सबसे किनारे वाले उभार को कर्न रथ कहा जाता है। भद्र रथ तथा कर्नरथ के मध्य के उमार को प्रतिरथ की संज्ञा दी गई है। विकास के क्रम में धीरे-धीरे शिखर पर तीन, पांच, सात तथा नौ उमारो को बनाया गया। शिखर का सबसे महत्वपूर्ण भाग सबसे ऊपर लगे फिनियल के नीचे लगा आमलक (अम्लसारक) होता है, जो उत्तरी भारत के मंदिरो की मुख्य पहचान है।
उपरोक्त के विपरीत दक्षिण भारतीय मंदिर शैली की विभिन्न विशेषताऐं होती है। यहाँ मंदिरो को विमान के संज्ञा दी गई है। मंदिर एक ऊँचे वर्गाकार चबूतरे पर स्थित होता है जिस पर पिरामिड प्रकार का एक ऊँचा टावर होता है, जो नीचे से ऊपर वर्गाकार गर्भगृह के ऊपर एक के ऊपर एक आकार में क्रमशः घटते हुए क्रम में अनेक तलो से संयोजित किया जाता है। प्रत्येक तल चारो और से हार (लघु मंदिरो की शृंखला ), कूट तथा शाल से अलंकृत रहता है, जो दक्षिण भारतीय मंदिर शैली की एक मुख्य विशेषता है। इसके अतिरिक्त दक्षिण भारतीय मंदिर शैली की एक और विशेषता इसके विशाल प्रवेश द्वार होते है, जिन्हे गोपुरम भी कहा जाता है। गोपुरम भी पिरामिडीय तलो से संयुक्त रहता है,जिस पर उपरोक्त प्रकार के अलंकरण होते है। चाहरदीवारी दक्षिण भारतीय शैली की एक ओर विशेषता है, जिसके चारो ओर लघु प्रकोष्ठ बनाये जाते है। जो संभवतः ध्यान आदि के लिए होते रहे होगें। इसके अतिरिक्त चाहरदीवारी के भीतर नहाने का तालाब भी दक्षिण भारतीय मंदिर शैली की मुख्य विशेषता है।
Protected Temples under Bhopal Circle, Archaeological Survey of India
Protected Temples under the Jurisdiction of Kolkata Circle, Archaeological Survey of India
Protected Temples under the Jurisdiction of Raipur Circle, Archaeological Survey of India
Protected Temples Guwahati Circle, Archaeological Survey of India
Protected Temples under the Jurisdiction of Lucknow Circle, Archaeological Survey of India
Protected Temples under the Jurisdiction of Shimla Circle, Archaeological Survey of India
क्र. सं. | राज्य | मंडल | राज्य संरक्षित / केंद्र संरक्षित | पी. डी. एफ. |
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१ | मध्य प्रदेश | भोपाल मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
२ | छत्तीसगढ़ | रायपुर मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | राज्य संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
३ | उत्तर प्रदेश | लखनऊ मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | राज्य संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
४ | पश्चिम बंगाल | कोलकाता मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
५ | असम | गुवाहाटी उत्तर-पूर्व मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | राज्य संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
६ | अरुणाचल प्रदेश | गुवाहाटी उत्तर-पूर्व मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
७ | मणिपुर | गुवाहाटी उत्तर-पूर्व मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | राज्य संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
८ | त्रिपुरा | गुवाहाटी उत्तर-पूर्व मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
९ | मेघालय | गुवाहाटी उत्तर-पूर्व मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |
१० | हिमाचल प्रदेश | शिमला मंडल | केंद्रीय संरक्षित मंदिर | पी. डी. एफ. |